Nainital Famous Temple – नैनीताल के मंदिर

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Hanuman Garhi Temple

Around 40 km from Haldwani and on the road to Nainital, the Hanuman Garhi is a peaceful and clean establishment situated at the top of a small hill. It is actually very close to the Nainital, and you may want to club both the places together on your itinerary.

Kainchi Dham

This is one of the most famously spiritual places to visit in Haldwani, Uttarakhand. Around 44 km from the city center, and also on the road to Nainital, the temple is dedicated to the famous Neem Karoli Babaji, who inspired a number of celebrities with his philosophy of bhakti-yoga. Steve Jobs and Mark Zuckerberg have visited the Kainchi Dham in search of peace, so whether you like them or not, the Kainchi Dham should make your list of top Haldwani tourist places.

शीतला देवी मंदिर

नैनीताल जिले के हल्द्वानी में काठगोदाम स्थित उच्च चोटी पर मां शीतला देवी मंदिर है. मां शीतला को मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

महालक्ष्मी मंदिर हल्द्वानी

 महालक्ष्मी मंदिर हल्द्वानी से सटे बेरीपड़ाव में स्थित है. मंदिर में 18 भुजाओं वाली मां महालक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान है. लोगों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पूजा-अर्चना करता है, अष्टादश महालक्ष्मी माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उसके पास कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.

जगदंबा मंदिर

हल्द्वानी के प्रसिद्ध जगदंबा मंदिर की स्थापना चार दशक पहले हुई थी. देवी के नाम पर ही इस कॉलोनी का नाम जगदंबा कॉलोनी पड़ा. इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं और माता भगवती से मन्नत मांगते हैं. स्थानीय लोगों का दावा है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

कालीचौड़ मंदिर

जंगल के बीचोंबीच मां काली का प्राचीन मंदिर हल्द्वानी के गौलापार में स्थित है. कालीचौड़ मंदिर ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है. कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक भक्त को देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और इस जगह पर जमीन में दबी अपनी प्रतिमा के बारे में बताया था. जिसके बाद जमीन की खुदाई कर मां काली समेत सभी मूर्तियों को बाहर निकाला गया और जंगल के बीचोंबीच ही देवी का मंदिर स्थापित किया गया, जिसे आज कालीचौड़ मंदिर नाम से जाना जाता है.

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